Saturday 2 September 2017

कर्ज माफ़ी

इस समय कर्ज माफी सभी पार्टियों का मुख्य एजेंडा है।जो एक बहुत ही गलत नीति है क्योंकि इससे राज्य सरकार को अतिरिक्त धन की आवश्यकता पड़ती है इससे किसानों का न कोई खास भला होता है न ही सरकार का।मगर यह एक नया ट्रेंड चल गया है कोई भी पार्टी जब चुनाव लड़ती है तो उसका मुख्य एजेंडा कर्ज माफी ही होता है और वह अपने को किसानों की सबसे हितैषी पार्टी बनना चाहती है जिससे उसका वोट उसे मिल सके मगर चुनाव जीतने के बाद जब उसे कर्ज माफ करना पड़ता है तो वह केंद्र से अतिरिक्त धन की मांग करती है जिससे केंद्र पैर अतिरिक्त भार बढ़ता है। किसानों के विकास के लिए कर्ज माफी कोई सही तरीका नही है क्योंकि गरीब किसानों को कर्ज आसानी से मिल नही पाता है और जिनको मिलता है वह उसे जमा नही करते है क्योंकि उन्हें पता है नयी सरकार आयेगी और उनका कर्ज माफ कर देगी ।अब तो लोग शौख पुरे करने के लिए लोन लेने लगे है ।
  कर्ज माफी से वही फ़ायदा दिखा है जहाँ पर लोग पढे लिखे हैं और भूमि सुधार व्यवस्ता लागु हुई है। जहाँ लोग शिक्षित है वो लोन लेने के बाद उसका सही से प्रयोग कर अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठा पाते है। भरतीय रिर्जव बैंक ने भी किसानों के कर्ज माफी को गलत मानता है उसने कई बार इस नए ट्रेंड का विरोध भी किया है अभी हाल ही में उसने इसके विरुद्ध बोला है। कर्ज माफी से न केवल राज्य सरकार को अतिरिक्त भर पड़ता है बल्कि केंद्र सरकार को भी।इससे भारत की अर्थ -व्यवस्था पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है इससे देश की मुद्रा भी कमजोर होती है। कर्ज माफी में लगे पैसे के कारण सरकार को अपने अन्य व्याय में कटौती करनी पड़ती है जिससे विकास कार्य में कमी होती है। किसानों की आय बढ़ाने के और उनकी स्थिति सुधारने के लिए कोई और करगर उपाय धूड़ने चाहिए।बहुत बार  ये होता की किसान की अच्छी पैदावार
 के बाद भी उसे उसकी सही कीमत नही मिल पाती है।उसके लिए सरकार को उपाय करने चाहिए।
   कर्ज माफी की वजह से बैकों की हालत की कमजोर हो जाती है जिससे वे किसानों को कर्ज देने में आना कानी करते है जससे किसान पुनः साहूकारों के जाल में फसने लगते है।

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